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लखीसराय एक नज़र

शहीद द्वार लखीसराय

लखीसराय बिहार का एक जिला है । इसका मुख्यालय लखीसराय है। लखीसराय बिहार के महत्वपूर्ण शहरों में एक है।कुछ साल पहले तक ये शहर सिंदूर की नगरी के रूप मैं जाना जाता था ....आज भी देश भर में खपत होने वाले सिंदूर का 60 फीसदी ये शहर उत्पादित करता है ।  इस जिले का गठन 3 जुलाई 1994 को किया गया था। इससे पहले यह मुंगेर जिला के अंतर्गत आता था। इतिहासकार इस शहर के अस्तित्व के संबंध में कहते हैं कि यह पाल वंश के समय अस्तित्व में आया था। यह दलील मुख्य रूप से यहां के धार्मिक स्थलों को साक्ष्य मानकर दिया जाता है। चूंकि‍ उस समय के हिंदू राजा मंदिर बनवाने के शौकीन हुआ करते थे, अत: उन्होंने इस क्षेत्र में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था। इन मंदिरों में कुछ महत्वपूर्ण तीर्थस्थान इस प्रकार हैं - अशोकधाम, माँ बाला त्रिपुर सुन्दरी बड़हिया , श्रृंगऋषि जलप्पा स्थान, अभयनाथ स्थान, अभयपुर, गोबिंद बाबा स्थान रामपुर, बड़ी दुर्गा स्थान लखीसराय,सूर्य मंदिर पोखरामा
इतिहास
किउल नदी के किनारे पर बसे लखीसराय शहर की ये तस्वीर
लखीसराय की स्थापना पाल वंश के दौरान एक धार्मिक-प्रशासनिक केंद्र के रूप में की गई थी। यह क्षेत्र हिंदू और बौद्ध देवी देवताओं के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध साहित्य में इस स्थान को अंगुत्री के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ है- जिला। प्राचीन काल में यह अंग प्रदेश का सीमांत क्षेत्र था। पाल वंश के समय में यह स्थान कुछ समय के लिए राजधानी भी रह चुका है। इस स्थान पर धर्मपाल से संबंधित साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। जिले के बालगुदर क्षेत्र में मदन पाल का स्मारक (1161-1162) भी पाया गया है। ह्वेनसांग ने इस जगह पर 10 बौद्ध मठ होने के संबंध में विस्तार से बताया है। उनके अनुसार यहां मुख्य रूप से हीनयान संप्रदाय के बौद्ध मतावलंबी आते थे। इतिहास के अनुसार 11वीं सदी में मोहम्मद बिन बख्तियार ने यहां आक्रमण किया था। शेरशाह ने 15वीं सदी में यहां शासन किया था जबकि यहां स्थित सूर्यगढ़ा शेरशाह और मुगल सम्राट हुमायूं (1534) के युद्ध का साक्षी है।
प्रमुख पर्यटन स्थल
अशोकधाम
इन्द्रदम्नेश्वर महादेव मंदिर अशोक धाम (लखीसराय)
अशोकधाम हिंदू तीर्थयात्रियों के पवित्र स्थानों में से एक है। इसे बिहार का देवघर के नाम से भी जाना जाता है ...यहां पाया गया शिवलिंग काफी बड़ा है। यहां खासकर महाशिवरात्रि और सावन के महीने में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। इस स्थान पर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी होते रहते हैं। इनमें से मुंडनऔर विवाह बहुत लोकप्रिय है।उन्नीस सौ सत्तर के दसक मे यंहा एक शिब्लिंग का उदय हुआ जिसके बाद इस जगह पर मंदिर का निर्माण किया गया है....इस मंदिर को राजा इन्द्रदमन के नाम पर अब इन्द्रदाम्नेस्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है .....इस मंदिर के विकाश मे लखीसराय के डॉक्टर दम्पति डॉक्टर श्याम सुन्दर और डॉक्टर राजकुमारी का अहम् योगदान है ...साथ ही डॉक्टर प्रवीन और कोपरेटिव बैंक के मनेजर श्री विपिन कुमार के सम्मलित प्रयास से आज यह मंदिर इस रूप मैं बन पाया है....शहर के मशहूर उद्योगपति परिवार बालू राम के दान से इस मंदिर का जीर्णोधार संपन्न हुआ है ....और भी कई लोगों ने दान कर इस मंदिर का निर्माण करवाया है....
जलप्पा स्थान


जालप्पा स्थान
यह स्थान आसपास के क्षेत्रों के अलावा दूर-दराज के इलाकों में भी काफी प्रसिद्ध है। यह धार्मिक स्थान पहाड़ियों पर स्थित है। जलप्पा स्थान मुख्य रूप से गौ पुजा के लिए जाना जाता है। यहां खासकर हर मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। यहां जाने के लिए लखीसराय से चानन क्षेत्र होते हुए जीप, टैक्सी अथवा तांगे से जया जा सकता है। पैदल तीर्थयात्री मानो गांव होते हुए लगभग दो घंटे पैदल चलने के बाद जलप्पा स्थान पहुंचा जा सकता है। साल के प्रारंभ में यहां भारी संख्या में सैलानी आते हैं।इस जगह पर मान्यता है की आप अपनी मुराद के लिए अगर एक कपडे को बांधते है तो आप की मन्नत जरुर पूरी होगी....नक्सलियों के प्रभाव के कारण इस इलाके में आने जाने वाले लोगों को भय लगता है ...लेकिन अब तक किसी भी तरह के अप्रिय वारदात की जानकारी उपलब्ध नहीं है.....







गोबिंद बाबा स्थान

गोबिंद बाबा का स्थान इस पूर क्षेत्र में पूजनीय है। यह मंदिर मानो-रामपुर गांव में स्थित है। धार्मिक रूप से इस स्थान का काफी महत्व है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहां का पूजा है जिसको ढ़ाक के नाम से जाना जाता है।

श्रृंगीऋषि

श्रृंगऋषि

लखीसराय की पहाड़ियों पर स्थित यह तीर्थस्थल लखीसराय का श्रृंगार है। यह स्थान जिले के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसका नाम प्रसिद्ध ऋषि श्रृंग के नाम पर रखा गया है। यहां शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। यहां आनेवाले पर्यटकों के लिए झरना आकर्षण के केंद्र बिदू में रहता है।याकिन मानिये आप जब यहाँ आयेंगे तब आपको पता चलेगा की लखीसराय में भी कश्मीर की तरह हसीं वादियाँ है ....जहा आप शांति और सुकून दोनों ही पा सकते है....पहले अपराधी सरगना जीवन यादव के कारन इस जगह का विकाश नहीं हो पाया ...और अभी नक्सलियों के प्रभाव के कारन विकास बाधित है ....

 सूर्यमंदिर पोखरामा

यह एक दर्शनीय स्थान है,यहाँ बहुत सारे मंदिर और तालाब है।दुःखभंजन स्थान, काली स्थान, ठाकुरबाड़ी, क्षेमतरणी ,सूर्यमंदिर और साधबाबा इस पूर क्षेत्र में पूजनीय है। यहां छठ के अवसर पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है।



आवागमन

हवाई मार्ग
हालांकि यह शहर हवाई मार्ग से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा हुआ है लेकिन राजधानी पटना तक हवाई मार्ग की सुविधा है। जहां से रेल या सड़क मार्ग से लखीसराय पहुंचा जा सकता है। पटना लखीसराय से 142 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
लखीसराय रेलवे स्टेशन  
रेल मार्ग
लखीसराय स्टेशन दिल्ली-हावड़ा मुख्य लाईन पर है। इसलिए यह शहर दिल्ली से सीधे जुड़ा हुआ है। किउल जंक्शन पास में होने के कारण यह स्थान बिहार के अन्य क्षेत्रों से भी प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है।
 
 
 
 
सड़क मार्ग
यह जिला राष्ट्रीय राजमार्ग 80 पर स्थित है जो राजधानी पटना से जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए निजी या सार्वजनिक वाहनों का उपयोग किया जा सकता है।

1 टिप्पणी:

  1. अमित कुमार, चंडीगढ़14 फ़रवरी 2012 को 1:51 pm बजे

    अब तक मैंने सिर्फ यही सुना था की बिहार में एक जगह है लखीसराय, पर आपके ब्लॉग के माध्यम से मैंने लखीसराय के बारे में बहुत कुछ जाना है, मै बहुत जल्द ही इस पावन धरती को देखने आऊँगा......

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